मुस्तं चित्रं विडंगञ्च त्रिमदः परिकीर्तितः।।(महौषध नि/सं./१६)
विडंगमुस्तचित्रैश्च त्रिमद समुदाहृतः।
व्याख्या ---
मुस्तक , चित्रक और विडंग इन तीनों के समभाग मिश्रण को त्रिमद कहते हैं।
त्रिमद के गुणकर्म --
त्रिमदः कफमन्दाग्निकासाऽजीर्णक्रिमीञ्जयेत्। (महौषध नि./सं.१६)
व्याख्या ---
★ त्रिमद कफ , अग्निमांद्य तथा कास का नाश करने वाला होता हैं।
★ त्रिमद अजीर्ण तथा कृमि में हितकारी होता हैं।
No comments:
Post a Comment