सर्वदा सर्वभावानां सामान्यं वृद्धिकारणम्|
ह्रासहेतुर्विशेषश्च, प्रवृत्तिरुभयस्य तु||४४||
सामान्य व विशेष की परिभाषा - सदा सभी भावों की वृद्धि करने वाला सामान्य कहलाता हैं,और ह्रास ( काम करने वाला ) का कारण विशेष हैं। इस आयुर्वेद में सामान्य और विशेष दोनों की प्रवृत्ति ( क्रिया ) से दोष , धातु व मलों की वृद्धि व ह्रास किया जाता हैं। अथार्त चिकित्सा में दोष , धातु व मल को सामान्य करने के लिए या तो कुछ जोड़ा जाता हैं या तो काम किया जाता हैं। यहाँ प्रवृत्तिरुभयस्य सामान्य व विशेष दोनों के लिए आया हैं।